Institute of Forest Biodiversity Hyderabad
भावाअशिप - वन जैव विविधता संस्थान
ICFRE - Institute of Forest Biodiversity
Hyderabad, Telengana (India)

संस्थान के बारे में

अद्यतन दिनांक (Last Updated on) : 28 March 2023

वन जैवविविधता संस्थान (व.जै.सं.) दुल्लापल्ली, हैदराबाद में अवस्थित है, इसे के दौरान मूलतः ‘‘एडवान्सड सेण्टर फाॅर बायोटैक्नोलाॅजी एण्ड मैन्ग्रोव फाॅरेस्ट्स‘‘ के रूप में प्रारंभ किया गया था तथा कालांतर में 9 जुलाई, 1997 को ‘‘वन अनुसंधान केन्द्र, हैदराबाद‘‘ के रूप में इसका पुनःनामकरण किया गया। वर्ष 2012 में केन्द्र को संस्थान में उन्नयन किया गया तथा इसका पुनःनामकरण ‘‘वन जैवविविधता संस्थान‘‘ के रूप में किया गया। संस्थान पूर्ण रूप से सुसज्जित अनुसंधान इन्फ्रास्ट्रक्चरों के साथ 100 एकड़ से ऊपर के परिसर में फैला हुआ है। मुख्य परिसर के साथ-साथ, संस्थान का एक क्षेत्र केन्द्र मुलुगु तथा एक अनुसंधान केंद्र तटीय पारिस्थितिकी तंत्र केन्द्र विशाखापत्तनम में अवस्थित है।

 

संकल्पना:

वन जैवविविधता के संरक्षण तथा उत्पादकता संवृद्धि तथा आजीविका समर्थन हेतु वन आनुवंशिक संसाधनों के संवहनीय उपयोजन में उत्कृष्टता को प्राप्त करना।

 

लक्ष्य:

वन आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण तथा संवहनीय उपयोजन, बलघातित स्थलों के पारिस्थितिकी पुनरूद्धार, जलवायु परिवर्तन शमन एवं अनुकूलन के लिए रणनीतियां विकसित करने के लिए वन जैवविविधता पर केन्द्रित अनुसंधान संचालित करना।

 

अधिदेश:

पूर्वी घाट, मैंग्रोव तथा तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर विशेष महत्व के साथ संस्थान वन जैवविविधता के संरक्षण तथा संवहनीय उपयोजन पर अनुसंधान संचालित करने के लिए अधिदेशित है।

परस्पर व्यापकता में निम्नांकित सम्मिलित हैं:

  • समुद्री और तटीय संसाधनों सहित जैवविविधता के वैज्ञानिक और संवहनीय प्रबंधन हेतु वानिकी अनुसंधानए शिक्षा एवं विस्तार के कार्य को प्रोत्साहन।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह प्रदान करना ताकि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्व तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के मामलों में सुविचारित निर्णय लेने तथा वानिकी अनुसंधान आवश्यकताओं के संबंध में मदद मिले।
  • राज्योंए वन आश्रित समुदायोंए वन आधारित उद्योगोंए वृक्ष और एऩटीएफपी उत्पादकों और अन्य हितधारकों को वन संसाधनों के संरक्षण और संवहनीय उपयोग हेतु उनके वानिकी आधारित कार्यक्रमों को तकनीकी सहायता और भौतिक समर्थन प्रदान करना।
  • विशेष रूप से समुद्री एवं तटीय जैवविविधता संसाधनों के संवहनीय उपयोजन, संरक्षण, प्रलेख-पोषण तथा जैवविविधता निर्धारण पर अनुसंधान।
  • वनों के विभिन्न पहलुओं यथा वन मृदाए आक्रामक प्रजातियांए वनाग्निए नाशी कीट और व्याधियों पर अनुसंधान और ज्ञान प्रबंधन।
  • नवीन विस्तार रणनीतियों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से अंतिम उपयोगकर्ताओं हेतु उपयुक्त तकनीकों का विकास, उन्नयनए प्रसार और उन्हें साझ्ाा करना।
  • मात्रात्मक पारिस्थितिक निर्धारणए आरईटी/स्थानिक प्रजातियों के स्व-स्थाने और पर-स्थाने संरक्षण तथा पूर्वी घाट की जैव विविधता का प्रलेख पोषण।
  • संरक्षण योजना के लिए पूर्वी घाट के स्थानिक और दुर्लभ पादपों का आनुवंशिक संसाधन निर्धारण।
  • समुद्री और तटीय जैव विविधता संसाधनों सहित पूर्वी घाट की जैव विविधता का संवहनीय उपयोजन
  • पूर्वी घाटए मैंग्रोव और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित जलवायु परिवर्तन अध्ययन।
  • जैवविविधता पर विकासात्मक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का निर्धारण एवं प्रतिबलित स्थलों का पारिस्थितिक-पुनर्वास।
  • परिषद् के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु, ऐसी अन्य सभी गतिविधियों का आयोजन करना जो प्रासंगिक और सहायक हों।

 

संगठन:

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् (भा.वा.अ.शि.प.) द्वारा नियुक्त निदेशक दैनिक प्रशासन तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी हैं।

वर्तमान में, 7 वैज्ञानिक तथा 3 भारतीय वन सेवा के अधिकारी सक्रिय अनुसंधान एवं विस्तार कार्यक्रमों के संचालन में संलग्न हैं। सभी वैज्ञानिक कार्मिकों व्यापक अनुसंधान पृष्ठभूमि रखते हैं तथा बहु-विषयक परियोजनाओं के संचालन में निपुणता रखते हैं। वैज्ञानिक कार्मिकों के अतिरिक्त संस्थान के पास 17 तकनीकी तथा 27 प्रशासनिक सहायतार्थ कार्मिक हैं।

संस्थान के अनुसंधान एवं विस्तार प्रयास निम्नांकित प्रभागों द्वारा निष्पादित किए जाते हैं:

  • वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग
  • आनुवंशिकी एवं वृक्ष सुधार प्रभाग
  • विस्तार प्रभाग
  • समन्वयन एवं सुविधाएं

अधिकार-क्षेत्र

 तेलंगाना तथा ओड़िशा

 

 

संकल्पना एवं विकास: सूचना प्रौद्योगिकी प्रभाग, भा.वा.अ.शि.प. मुख्यालय